केलोस्ट्राल का खतरा बच्चों में फिर क्या करें? The risk of cholesterol in children then what to do?

केलोस्ट्राल का खतरा बच्चों में फिर क्या करें?


बच्चों को आजकल रेडी टू इट फूड अधिक भा रहा है। बस पेट भरना चाहिए। पेट और शरीर को क्या चाहिए? यह जानने की कोशिश नहीं करनी है। फास्ट फूड और जंक फूड के लालच ने बच्चों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।


परम्परागत और पौष्टिक आहार को एक तरफ करके, सेचुरेटेड और ट्रांसफैट युक्त भोजन के अधिक ग्रहण के कारण लीवर अधिक मात्रा में केलोस्ट्रोल का निर्माण करने लगता है। क्रीम युक्त दूध, चीज़ (डेयरी प्रोडक्ट), चिप्स, पेस्ट्रीज, बिस्किट्स (प्रोसेस्ड फूड), वसा युक्त अन्य आहार, तला-भुना आहार, पिज्जा व बर्गर आदि पोषण बिल्कुल नही ंदेने वाले है बल्कि खराब केलोस्ट्रोल की मात्रा शरीर में और बड़ा देते है।

आज स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। आउटडोर गेम्स के बजाए घर पर टी वी या मोबाईल पर बच्चे दिन भर चिपके रहते है, इन्हीं पर गेम खेलते रहते है। फास्ट फूड और जंक फूड ही अब पसंदीदा भोजन रह गया है। यह सब मोटापा बढ़ने का कारण बन रहा है जिससे खराब केलोस्ट्राल की मात्रा बढ़ने की संभावना बलवती रहती हे।

बचपन में ही यदि यही चलता रहता है तब 25-30 वर्ष की युवा आयु में ही ह्नदय रोग, डायबिटिज,स्ट्रोक, मोटापा या अन्य रोगांे के लगने की संभावना बढ़ जाती है। आनुवांशिक अपवाद स्वरूप हाई केलोस्ट्रॉल के कारण खून की नलिकाएं सिकुड़ने लगती है और खून का सर्कुलेशन प्रवाहित होता है। धमनियों में फ्लेक जमने से ह्नदय घात का खतरा जल्दी ही मंडराने लगता है। छोटे बच्चों में भी यह समस्याएं देखने को आ रही है।

शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए बच्चों को प्रतिदिन कम से कम एक घंटा शारीरिक गतिविधियों वाले खेल खेलने चाहिए जैसेकि साईक्लिंग, दौड़ना, बेडमिंटन इत्यादि।

पोषक तत्त्वों से युक्त आहार हों। मौसमी खट्टे फल, बादाम, अखरोट, अंजीर, पिस्ता, मूंगफली व किश्मिश आदि को खाने से एचडीएल बढ़ता है और लो केलोस्ट्रॉल कम होता है। केलोस्ट्राल का खतरा बच्चों में कम रखने के लिए सचेत रहना चाहिए।

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