हॉस्पिटल जा रहे हैं साथ में अटेन्डेंट स्ट्रांग होना चाहिए।
हॉस्पिटल में मरीज के साथ जाने वाले सहयोगी को भी जागरूक और सतर्क होना आवश्यक है। बीमारी का पता चलते ही व्यक्ति हड़बड़ा जाता है और घबरा कर शीघ्रताशीघ्र चिकित्सा लेने की व्यवस्था करता है। समुचित चिकित्सा नहीं मिलने पर कई बार समय और पैसा तो बर्बाद ही जाता है साथ में जान चली जाने की संभावना भी बन पड़ती है।
जल्दी का खेल बुरा है। घबराहट और जल्दी का निर्णय कई बार घातक भी हो सकता है। शहरों का विस्तार हो रहा है और चिकित्सालयों की बाढ़ सी आ रही है। आकस्मिक घटना घटित होने पर तुरंत नज़दीकी अस्पताल को ही चुनना भी चाहिए किंतु आस-पास के बेहतर सुविधाओं वाले अन्य हॉस्पिटल्स की भी पूर्ण जानकारी रखनी आवश्यक है। ऐसा हॉस्पिटल चुने जहाँ रोग विशेष के लिए विशेषज्ञ भी उस समय उपस्थित हो और समय खराब नहीं करके रोगी की शीघ्र चिकित्सा हो सकें।
टेलीफोन नम्बर व मोबाईल नम्बर भी जरूर होने चाहिए जिससे यदि रोग की जटिलता समझ नहीं आ रही हो तब फोन से भी मार्गदर्शन लेकर सही चिकित्सालय में रोगी को ले जाया सकें।
लेबोरेटरीज् और हॉस्पिटल्स् आदि मरीज के उतावलेपन का गलत फायदा उठा लेते हैं। बहुत से केसेज आ रहे है दो जगह टेस्ट करवाया वह भी दोनों जगह अलग-अलग रिपोर्ट प्राप्त हुई। अब समस्या पैदा हो जाती है कि कौनसी सही माने या कौनसी नहीं। इसके लिए पहले से ही जानकारी रखनी चाहिए कि कौनसी लेबोरेटरी या हॉस्पिटल्स में पुख्ता रिपोर्ट मिल सकती है क्योंकि जगह-जगह कदम-कदम पर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध तो जरूर है किंतु कई जगह अप्रशिक्षित व लापरवाह स्टॉफ के साथ आधुनिक तकनीकी मशीनरी के अभाव की संभावना भी रह जाती है।
अध्ययन करें। जरूरी नहीं कि सभी सर्व ज्ञानी होते है किंतु रोगी व रोग की जटिलताओं के मध्येनज़र एक बार जरूर चिकित्सालय, चिकित्सक, विशेषज्ञ और वहाँ मिलने वाली सुविधाओं तथा खर्च होने वाले पैसे आदि की जानकारी तुरंत प्राप्त करें। वैसे भी आज के समय में इस संबंध में जानकारी रखना हर व्यक्ति को अपना दायित्त्व भी बना लेना चाहिए।
हजारों हॉस्पिटल और हजारों चिकित्सक है किंतु रोग विशेष के संबंध में विशेषतः अध्ययन करके जानकारी और दूरभाष नम्बर मोबाईल या डायरी आदि में साथ रखने चाहिए।
ज्ञान अर्जन रखें
लड़े अपने अधिकारों के लिए
बहस करें यदि कुछ गलत दिखाई दे रहा हो चुप्पी नहीं साधें
जो चीज़े सामने होती है जैसे इलाज की प्रक्रिया दवा, सूईयां, ड्रॉप, आदि के संबंध में पूछे और सतर्क रहें जिससे स्टॉफ की लापरवाही का शिकार होने से बचा जा सकें।
रिपोर्ट प्रेस्कीप्शन आदि देखें और जांचें
बेवकूफ बनने से बचें।
उदाहरण के लिए एन्जियोग्राफी जोकि एक्स रे की तरह होता है स्पष्ट दिखाई देती है कि कितनी ब्लॉकेज है। एन्जियोप्लास्टी स्टंट डाले है या नहीं कितने डाले है कितनी जरूरत है इसके लिए जल्दबाजी ठीक नहीं जानकारी कम से कम दो-तीन जगह से जानकारी प्राप्त जरूर करें। ऐसा नहीं हो कि बिना ब्लॉकेज के ही स्टंट लगा डाला तो लाईफ कैसी होगी आगे की आप समझ सकते हैं।
कैसे होगा, कौन करेगा,
आपातकालीन स्थिति की आशंका कम हो या आपातकालीन प्राथमिक चिकित्सा के बाद आगे इलाज जारी रखने के लिए पता करने में एक नहीं दो नहीं तीन नहीं चार नहीं पूरे पांच दिन लगाईए किन्तु संतुष्ट और जागरूक होकर सही मार्ग दर्शन लें तभी किसी चिकित्सक और अस्पताल में इलाज लेने के लिए कदम उठाएं।
हॉस्पिटल जा रहे हैं तो वहाँ के चिकित्सक, स्टाफ, नर्सिंग स्टाफ आदि के सन्दर्भ में लोगों से फीडबैक जरूर लें।
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