डायबिटीज से किन अंगो पर बुरा असर पड़ सकता है? Which organs can be affected by diabetes?

यदि लम्बी अवधि से मधुमेह रोग से पीड़ित रहते है और मधुमेह अनियंत्रित रहे तो उसका बुरा प्रभाव शरीर के सभी अंगों पर पड़ने लगता है। डायबिटीज से किन अंगो पर बुरा असर पड़ सकता है? आइए जानते है:-

डायबिटीज से पीड़ित रोगी के हाथ-पैरों में सुन्नता, जलन, झनझनाहट व दर्द होने की शिकायत हो जाती है। चोट लगने पर पता नहीं लगता है। खून में ग्लूकोज का स्तर अधिक हो जाने के कारण कोशिकाएं (सेल्स) खराब और रोग ग्रस्त हो जाती है जिससे चोट आदि का एहसास नहीं हो पाता है। इसे डायबिटीक न्यूरोपेथी कहा जाता है।

डायबिटीक रोगी के खून मंे ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाने के कारण गुर्दों पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है। किडनी में संक्रमण हो सकता है और गुर्दों की क्रोनिक डिजीज भी हो सकती है। मधुमेह रोगी का रक्तचाप असंतुलित रहता है। किडनी के रोगियों का डायलिसिस होता है। इसे डायबिटीक नेफ्रोपैथी कहा जाता है।

डायबिटीक रोगी को कम से कम तीन महिने में एक बार चिकित्सक के सम्पर्क में रहना चाहिए। मधुमेह रोग से हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है। हार्ट फेलीयर या हार्ट अटैक की संभावनाएं बढ़ जाती है। रक्त शर्करा और रक्तचाप की समय-समय पर नियमित जांच करवानी चाहिए।

डायबिटीक रोगी के दिमाग की नसों में थक्का जमने के कारण हाथ व पैरों की कार्य क्षमता में धीरे-धीरे कमी आ जाती है या फिर क्षमता पूर्णतः खत्म हो जाती है। खून में शर्करा की मात्रा बढ़ जाने के कारण ब्रेन स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है। पैरालेसिस अटैक से बचने के लिए ब्लड शुगर को नियंत्रित रखना बहुत आवश्यक है। इसे डायबिटीक हार्ट प्रोबलम कहा जाता है।

डायबिटीक रोगी में मोतियाबिंद, आंखों के पर्दे में सूजन और अंधेपन की आशंका बनी रहती है। यदि रोगी को समय पर उपचार अथवा इलाज नहीं मिल सकें तो रोगी अंधा भी हो सकता है और आँखों की रोशनी हमेशा के लिए खत्म हो सकती है। इसे डायबिटीक रेटीनोपैथी कहा जाता है। डायबिटीज से किन अंगो पर बुरा असर पड़ सकता है?इसकी जानकारी रखनी चाहिए

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