
नेफ्राइटिस (किडनी (गुर्दे) की सूजन): कारण, लक्षण और प्राकृतिक उपचार

गुर्दे हमारे शरीर में स्थित खून की गंदगी व विषाक्त तत्त्वों को छानकर खून को शुद्ध करने का कार्य करते हैं, यह गंदगी व विषाक्त तत्त्व मूत्र द्वारा बाहर निकल जाते हैं। यदि गुर्दे कमजोर हो जाएं और इनकी सक्रियता कम हो जाती है तब खून के छानने व साफ होने की प्रक्रिया पर बुरा प्रभाव पड़ता है और खून विषजन्य हो जाता हैं। यदि विष अधिक बढ़ जाता है तब यूरेनिया जैसी मृत्यु कारक बीमारी की संभावना हो सकती है।
कारण-
दूषित पदार्थों का अधिक सेवन, अनियमित, अव्यवस्थित व असंतुलित जीवन शैली, संक्रमण और पानी कम पीने के कारण यह रोग हो जाता है।
लक्षण-
सर्दी के साथ बुखार आ सकता है।
गुर्दों के स्थान पर तीव्र दर्द की शिकायत रहती है साथ ही कमर व रीढ़ की हड्डी में दर्द हो जाता है।
जीभ गंदी रहने लगती है और त्वचा का रंग सफेद पड़ने लगता है।
बूंद-बूंद बहुत तकलीफ के साथ पेशाब आना या बंद हो जाने की शिकायत हो सकती है।
आँखों के नीचे व पैरों में सूजन आ जाती है।
मूत्र त्यागते समय गर्मी व दर्द का एहसास होना।
पेशाब का रंग लाल या मटमेला सा होना।
मंदाग्नि हो जाती है जिससे रोगी को भूख लगनी बंद हो जाती है।
प्राकृतिक उपचार-
कब्ज के निवारण के लिए सबसे पहले ध्यान दें।
गुर्दों को अधिकतम विश्राम दीजिए।
मल, मूत्र, त्वचा और संतुलित श्साव-प्रश्वास के जरिएं शरीर की गंदगी को भलीं-भांति बाहर निकालने का अभ्यास करें।
प्रातः तथा सांय शक्ति तथा सामर्थ्य अनुसार भ्रमण करें।
मिट्टी पट्टी पेडू पर रखें और एनिमा लें सकते हैं।
ठंडा कटिस्नान पाँच मिनट तक लेना लाभप्रद है।
पेट की सूती व ऊनी लपेट बहुत ही फायदेमंद है।
जीवनी शक्ति बढ़ाने के लिए दो-तीन दिन तक अधिकतम पानी और क्षारीय रसाहार पर उपवास करें। इसके बाद चोकर सहित आटा, कणी वाले चावल, फल व अन्य हरी सब्जियों का सेवन करें।
अम्लीय पदार्थ जैसे कि गरिष्ठ व तले हुए आहार, मिर्च, मसाले, चटपटा तैलीय आहार, चीनी, चाय, काफी, मैदा व अधिक नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
कुछ दिन तक दूध तथा घी से दूर रहें। सुबह भोजन के स्थान पर पाव भर क्षारीय फल लें। दोपहर तथा ष्शाम को चोकर सहित आटे की रोटी और हरी सब्जियां खाएं तथा दोपहर बाद तीन बजे के आस-पास मौसमी, गाजर या खीरा जो भी उपलब्ध हो एक ग्लास रस पीना हितकारी है।
गुर्दा रोग से स्वस्थ होने के बाद सुबह क्षारीय फल के साथ एक ग्लास दूध लिया जा सकता है और दो भोजन में एक चम्मच घी का सेवन भी किया जा सकता है।
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