डायबिटीज: घबराना नहीं है-उपचार लें -डायबिटीज की बीमारी को नियंत्रित करने के लिए वर्तमान में एलोपेथी, आयुर्वेदिक, होम्योपैथी, प्राकृतिक व यूनानी आदि कई चिकित्सा पद्धतियां उपलब्ध है। चिकित्सक के दिशानिर्देश व परामर्श अनुसार ही दवा का सेवन किया जाना चाहिए।
इंसुलिन की खोज नोबेल पुरस्कार प्राप्त कनाड़ा के महान् वैज्ञानिक सर फ्रेडरिक ग्रांट बैटिंग द्वारा वर्ष 1921 में की गई थी।
डायबिटीज की बीमारी की पुष्टि के लिए एंडोक्राइनोलॉजिस्ट या जनरल फिजिशियन को जरूर दिखाना चाहिए। ब्लड शुगर जांच खाली पेट और खाना खाने के दो घंटे बाद ब्लड टेस्ट करवाया जाता है। खून में पिछले तीन महीनों में ग्लूकोज का क्या स्तर रहा है इसका पता एचबीएससी टेस्ट से चलता है। वर्ल्ड डायबिटीज दिवस 14 नवम्बर को मनाया जाता है। डायबिटीज इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन के अनुसार वर्ष 2030 तक दुनिया की 90 प्रतिशत जनसंख्या को डायबिटीज होने की संभावना होगी।
आयुर्वेद के अनुसार शरीर में कफ की मात्रा बढ़ जाने से मंदाग्नि हो जाती है जिसके परिणाम स्वरूप कार्बोहाईड्रेट्स पूर्ण रूप से या आंशिक भी पच नहीं पाते हैं। पाचन नहीं होने से लैक्टोज, ग्लूकोज और फ्रूक्टोज जैसे तत्त्वों का शरीर में सही उपयोग नहीं हो पाता है जिससे शरीर में ऊर्जा घट जाती है। आयुर्वेद के अनुसार दालचीनी, सौंठ, पीपली, जावित्री, नीम, जामुन, आम की गुठली, गिलोय, दाना मैथी, नीम, नीम की निंबोली, जामुन की गुठली, करेला, बिल पत्र, केरेले के बीज, अजवाईन, सदाबहार के पत्ते, हल्दी, कुटकी व विजयसार आदि के भिन्न-भिन्न प्रयोग से मधुमेह के कारण समाप्त होते हैं।
गर्भावस्था के दौरान होने वाली डायबिटीज को जेस्टेशनल डायबिटीज मेलाइट्स कहते हैं। प्रसव के बाद जेस्टेशनल मेलाइटस डायबिटीज स्वतः ही ठीक हो जाती है। गर्भावस्था के दौरान ग्लूकोज लेवल का ध्यान नहीं रखने पर गर्भ में पल रहे शिशु को जन्मजात विकृति या महिला का गर्भपात भी हो सकता है। जेस्टेशनल डायबिटीज के कारण उच्च रक्तचाप और शारीरिक व मानसिक तनाव भी बढ़ सकता है। ऑपरेशन से प्रसव की आशंका अधिक हो जाती है। डायबिटीज है तो घबराना नहीं चाहिए बल्कि उपचार लेना चाहिए।
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